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Showing posts from May, 2017

बचपन शायरी :_बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे,तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे,अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता,और बचपन में जी भरकर रोया करते थे।

बचपन के दिन भी,  कितने अच्छे होते थे; तब दिल नहीं सिर्फ ,  खिलौने टूटा करते थे।॥ पर अब तो , एक आंसू ,  भी बर्दाश्त नहीं होता; और बचपन में हम ,  जी भरकर रोया करते थे।। 

Dilkash shayari :-ज़रा-सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगा, ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा, न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं, हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा, सफ़ीना हो के हो पत्थर, हैं हम अंज़ाम से वाक़िफ़, तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा, समन्दर के सफर में किस्मतें पहलू बदलती हैं, अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा, मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको, किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा।

ज़रा-सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगा, ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा, न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं, हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा, सफ़ीना हो के हो पत्थर, हैं हम अंज़ाम से वाक़िफ़, तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा, समन्दर के सफर में किस्मतें पहलू बदलती हैं, अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा, मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको, किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा।